Genre: Comedy + Animal Fable
Moral: हर किसी में कुछ खास होता है।
भूमिका (Introduction)
स्थान: घोड़ेपुर गाँव
मुख्य पात्र:
- भोलू गधा: आलसी, मजाक का पात्र, लेकिन दिल का साफ
- शेरा घोड़ा: गाँव का घमंडी रेसिंग चैम्पियन
- गांव वाले: जो रोज़ भोलू का मज़ाक उड़ाते
- रामू किसान: भोलू का इकलौता दोस्त
शुरुआत

घोड़ेपुर गाँव का नाम सुनते ही लोग सोचते थे – “वाह! ये तो घोड़ों का गाँव होगा।”
लेकिन असल में वहाँ भैंसे, ऊँट, कुत्ते, मुर्गियाँ और सिर्फ एक गधा था—भोलू।
भोलू शांत स्वभाव का था, लेकिन आलसी और धीमा। गाँव में उसे कोई काम नहीं देता था।
गाँव के बच्चे उसे देखकर गाते:
“भोलू गधा, सबसे सुस्त,
खाता है पत्ते, सोता है मस्त!”
भोलू की बेइज़्ज़ती

एक दिन गाँव में वार्षिक पशु दौड़ प्रतियोगिता घोषित हुई।
इनाम था: एक साल का मुफ्त चारा, और “गाँव का गौरव” का खिताब।
शेरा घोड़ा, बुलेट बैल, और झुनझुना खरगोश – सब भागने को तैयार थे।
भोलू का नाम सुनते ही भीड़ हँस पड़ी।
“गधा और दौड़? हाहाहा! वो तो गिनती तक पूरी नहीं कर सकता!”
लेकिन रामू किसान ने भोलू को पुचकारते हुए कहा—“तू सिर्फ भागना, जीतने की ज़िम्मेदारी भगवान की।”
दौड़ का दिन

दौड़ की शुरुआत हुई। शेरा और बुलेट आगे भागे… भोलू सबसे पीछे।
लोग हँसते, मज़ाक उड़ाते, लेकिन भोलू बस चलता रहा।
धीरे-धीरे… हौले-हौले।
घमंड का पत

अचानक दौड़ के बीच शेरा फिसल गया, बुलेट बैल एक खाई में जा गिरा, और झुनझुना खरगोश झाड़ियों में फँस गया।
लोग चौंक गए।
लेकिन भोलू?
वो अब भी अपने धीमे लेकिन स्थिर कदमों से आगे बढ़ रहा था।
भोलू की जीत

भीड़ सन्न रह गई जब भोलू धीरे-धीरे फिनिश लाइन पार कर गया।
कोई ताली नहीं, कोई ढोल नहीं… सब हक्के-बक्के।
फिर एक बच्चे ने चिल्लाया—“भोलू जीत गया!”
पूरा गाँव तालियों से गूंज उठा।
भोलू मुस्कराया… अपनी धीमी चाल में… और चुपचाप बैठ गया।
सम्मान और सबक

राजा ने भोलू को “शौर्य-गधा” की उपाधि दी।
गाँव वालों ने पहली बार उसे गले लगाया।
शेरा ने माफी मांगी—“मैंने तुम्हें कम आँका। पर आज समझ में आया—स्थिरता, जीत की असली कुंजी है।”
आखिरी दृश्य
अब भोलू गाँव का हीरो बन चुका था।
बच्चे अब गाते:
“भोलू गधा, सबसे खास,
जीत गया सबका विश्वास!”
नैतिक शिक्षा (Moral of the Story):
“हर किसी में कुछ खास होता है।”
कभी भी किसी की ताकत को उसकी चाल से मत आँको। कुछ लोग धीरे चलते हैं, लेकिन सही दिशा में।
What You Have Learned (सीख क्या मिली?)
“गधे की जीत” कहानी हमें यह सिखाती है कि हर व्यक्ति या प्राणी में कोई-न-कोई खासियत होती है। समाज अक्सर बाहरी रूप, ताकत या तेज़ी से किसी की काबिलियत का फैसला करता है — लेकिन असली जीत मेहनत, आत्म-विश्वास और सही मौके का इस्तेमाल करने वालों की होती है। भोलू गधा, जिसे सब मूर्ख और आलसी समझते थे, उसने सबको गलत साबित कर दिखाया। कभी किसी को कम मत आंकिए — हर किसी की अपनी एक खास जगह होती है।